Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi – प्रेमानंद जी महाराज जिन्हे आज सब जानते हैं छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ो तक उनकी आवाज, विचार और चहरे को देखकर सब को सुकून मिलता हैं |
प्रेमानंद जी महाराज के भजन और सत्संग सुनने के लिए कई बड़े-बड़े लोग आते हैं जो लोग नहीं आ सकते वो लाखो लोग यूट्यूब पर प्रेमानंद जी का सत्संग सुनते हैं |
वर्तमान में महाराज जी अपने सत्संग और प्रवचनों के लिए सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हैं ।
इस आर्टिकल में हमने आपको Premanand Ji Maharaj जे जीवन के बारे में बताने जाए रहे हैं (Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi ) यदि आप इनके बारे में जानना चाहते हैं तो पूरा ब्लॉग पढ़े
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj Birth) :
श्री प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 1972 में उत्तरप्रदेश राज्य के कानपुर के अखरी गाँव में हुआ था |
- महाराज जी का पहले नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डे था |
- महाराज जी ब्राह्मण परिवार से थे |
प्रेमानंद जी महाराज का परिवार (Premanand Ji Maharaj Family)
प्रेमानंद जी महाराज जी के परिवार का माहौल सात्विक धार्मिक था उनके दादाजी भी सन्यासी थे और उनका पूरा परिवार भक्ति मार्ग पर चलता था |
महराज जी के परिवार की आजीविका का साधन खेती था |
- पिता का नाम – शम्भु पाण्डे
- माता का नाम – रमा देवी
Premanand Ji Maharaj ने 13 साल की उम्र में अपना गाँव छोड़कर सन्यास ले लिया |
प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षा (Premanand ji maharaj education ) :
प्रेमानंद जी महाराज जी ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की और अपने गाँव में ही की थी | महाराज जी के परिवार में पूजा पाठ और धार्मिक माहौल था इसलिए उनका मन भी आध्यात्मिक की ओर जाने लगा |
- महाराज जी अपने पिताजी के साथ पढ़ाई के साथ-साथ पूजा पाठ भी करते थे इसके बाद आठवीं कक्षा के बाद उन्होंने नवी कक्षा में पूरी तरह से आध्यात्मिक जीवन जीने का निर्णय कर लिया |
- लेकिन यह सब कुछ आसान नहीं था उन्होंने अपने परिवार को समझाया और 13 साल की उम्र में अपने घर को त्याग दिया |
प्रेमानंद जी महराज का संघर्षमय जीवन (Premanand Ji Maharaj life) :
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन घर से जाने के बाद काफी कष्टमय था अपना अधिकांश समय गंगा किनारे काटा |
- महाराज जी गंगा घाट पर घूमते रहते थे वहीं गंगा किनारे सो जाते थे कोई खाना देता तो खा लेते या नहीं गंगा जल पीकर ही सो जाते थे |
- प्रेमानंद जी वाराणसी से लेकर हरिद्वार के गंगा घाट तक की ही अपना समय व्यतीत किया |
प्रेमानंद जी महाराज किस प्रकार से वृंदावन पहुंचे –
प्रेमानंद जी महाराज की मुलाकात एक संत से हुई जिन्होंने उन्हें वृंदावन आकर रासलीला देखने के लिए आग्रह किया |
- महाराज जी ने वृंदावन जाने के लिए इंकार कर दिया था लेकिन संत जी नेमहाराज जी से काफी आग्रह किया तो प्रेमानंद जी वृंदावन पहुंचे |
- वृंदावन जाकर जब महाराज जी ने रासलीला और चैतन्य लीला देखी तो उनका मनमोहित हो गया और उनका मन वही रम गया |
- 1 महीने के बाद जब दोनों लीलाएं खत्म हुई तब वह वहां से लौट गए लेकिन उनके मन में रासलीला और कितने चैतन्य लीला के प्रति लगाव पैदा हो गया |
- यह बात प्रेमानंद जी नेसंत को बताई तो उन्होंनेमहाराज जी को वृंदावन में आकर बस जाने की सलाह दी उसके बाद महाराज जी वृंदावन आकर इस संत की सेवा करने लगे और वृंदावन में रहने लगे
राधा रानी के प्रेम भक्त प्रेमनंद जी महाराज जी को साडी दुनिया जानती हैं और सभी धर्मो के लोग प्रेमानन्द जी का सम्मान करतेह हैं |
महराज जी आज के समय में प्रसिद्ध संत हैं प्रवचन सरल और आकर्षक होते हैं |
प्रेमानंद जी महराज जी सभी दुखो को दूर करने का यह उपाय बताते हैं –
प्रेमानन्द जी के दरबार में आने वाले लोग सभी धर्मो के होते हैं इसलिए महाराज जी सभी को अपने अपने भगवान का नाम जप करने के लिए कहते हैं |
महराज जी कहते हैं की भगवन नाम में अपार सामर्थ्य हैं तथा नाम जप करने से आपका तनाव, ज्यादा सोचने की बीमारी, काम, क्रोध, लोभ और सभी दुःख दूर हो जायेंगे |
इतना ही नहीं आपकी सहन करने की शक्ति बढ़ेगी और आपको बल मिलेगा आपका कोई बाल भी बांका नहीं कर पायेगा बस आप निरंतर नाम जप कीजिए |
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