Ayodhya Ram Mandir जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हो जाएगी | यह एक ऐसा दिन हैं जिसका इन्तजार लोग 500 साल से कर रहे हैं | इस लेख में हम आपको 500 साल के संघर्ष, अयोध्या विवाद की पूरी कहानी (Ram Mandir Inauguration) (1528 – 2024 ) के बारे में बताय
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- राम मंदिर के इन्तजार में कितनी पीढ़ियां खत्म हो गयी, कितने लोगो ने अपनी जान गंवा दी |
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- 16 वीं शताब्दी में लोगो का सपना था की की वो Ayodhya में Ram Mandir देखें,
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- 18 वीं शताब्दी में लोग राम मंदिर के हक के लिए पहली बार अदालत चले गए,
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- आज से 150 साल पहले लोगो ने राम मंदिर बनाने की लड़ाई में अपनी जान गवां दी, ऐसे लोग भी थे जिन्होंने अपने जीवन के 50 साल अदालत की लड़ाई में बिता दी जो आज हमरे बीच नहीं हैं |
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- आप अपने जीवन में भगवान Shree Ram mandir Ayodhya को देख सकते हैं
1.वर्ष 1528 में –
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Toggleबाबर ने साल 1528 में आयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर को गिराकर वहाँ मस्जिद का निर्माण करवाया, ये बात तो सब जानते लेकिन क्या आप जानते हैं की
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- Bhagwaan Shree Ram के पुत्र कुश ने Ayodhya Ram Temple का निर्माण करवाया था |
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- अयोध्या में सीताराम के (Seetaram) 3000 मंदिर थे,
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- कहा जाता है की 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व इनमे से कही मंदिर खराब हो गए उसी दौरान उज्जैन के राजा विक्रमादित्य आयोध्या कई मंदिरो को ठीक करवाया था मंदिर आने वाले कई साल तक मंदिर सही सलामत रहे |
बाबर और इब्राहिम लोदी का युद्ध –
21 अप्रैल 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच युद्ध होता हैं,1528 तक बाबर की सेना अयोध्या पहुँच जाती हैं और कहा जाता है तभी बाबर के कहने पर उनके सेनापति मीर बाकी ने मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनाई |
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- जिसे बाद में बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था, उसके बाद
- 150 साल तक कोई विवाद नहीं हुआ कोई हलचल नहि हुयी यह वह दौर था जब मुगलो का शासन था
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वर्ष 1717 में –
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साल 1717 में यानि बाबरी मस्जिद बनने के 190 साल बाद में जयपुर के महराजा सवाई जय सिंह ने मस्जिद और उसके आस पास की जगह के लिए कोशिश की वो जगह उनको मिल जाए | |
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- सवाई जय सिंह इस जगह के बारे में जानते थे की यह हिन्दुओ के लिए क्या मायने रखती हैं और उनकी भगवान के प्रति कितनी आस्था हैं |
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- लेकिन महाराजा इस कोशिश में असफल हो गए लेकिन उन्होंने इस मस्जिद के पास ही एक राम चबूतरा बनवा दिया ताकि हिन्दू वहाँ पूजा कर सके |
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- यूरोपियन ज्योग्राफर जोसफ स्टेफन थेलर ने भी राम चबूतरा होने का दावा अपनी रिपोर्ट में किया हैं |
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- यह वो समय था जब मुस्लिम मस्जिद में पूजा करते और हिंदू बहार चबूतरे पर पूजा करते थे |
- मंदिर गिराए जाने के 250 साल बाद भी हिन्दू इस मंदिर को भूले नहीं थे आयोध्या में Shree Ram के अनेको मंदिर थे लेकिन यह भगवान श्री राम का जन्मस्थान का मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बना दी गयी |
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साल 1813 में –
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1813 में हिन्दू संगठनों ने बताया की 1528 में बाबर ने Ram Mandir तोड़कर मस्जिद बना दी
यह माना जाता हैं की फैजाबाद के अंग्रेज अधिकारियो ने मस्जिद में हिन्दू कलाकृतियों का होने का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया |
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- 1838 में – मस्जिद में जो पिलर्स थे वो मंदिर से ही लिए गए थे यह दावा 1838 में बिर्टिश सर्वेयर मोन्टिगो मेरी मार्टिन ने एक रिपोर्ट दी उसमे दिया गया हैं |
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- रिपोर्ट सामने आने के बाद बहुत हंगामा हुआ और हिन्दुओ के दावे के बाद से विवादित स्थान पर नमाज के साथ साथ पूजा भी होने लगी |
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- 1853 में अवध के नवाब वाजिद अली खान के समय पहली बार Ayodhya में साम्प्रदायिक हिंसा हुयी
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- 1855 तक हिन्दू और मुस्लिम एक ही जगह नमाज और पूजा करते रहे |
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- मुस्लिमो को 1855 के बाद वापिस मस्जिद में जाने की इजाजत मिली पर हिन्दुओ को नहीं मिली
- हिन्दू मस्जिद से 150 फीट बनाये राम चबूतरे पर पूजा करने लगे |
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1885 में –
1885 में यह मामला अदालत पहुंचा उस समय निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की अर्जी दी थी अदालत में,
इस अर्जी को स्वीकृति नहीं मिली लेकिन इस घटना से पता चलता हैं की निर्मोही अखाड़ा किस समय से यह लड़ाई लड़ रहा हैं |
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- 1934 में अयोध्या में फिर से दंगे होते हैं तथा इसके कारण बाबरी मस्जिद की दीवार टूट जाती हैं जिसे वापिस बना दिया जाता हैं |
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- परन्तु नमाज बंद कर दिए गए यह उस समय की बात हैं जब देश पर अंग्रेजो का शासन था न ही तो अपनी सरकार थी और न ही मिडियाआजाद थी ,
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- लेकिन जनता भगवान श्री राम की भक्ति करते थे उनकी उनके प्रति बहुत गहरी आस्था थी |
- बाबर के मस्जिद बनाने के 400 साल बाद भी राम मंदिर के हक की लड़ाई लड़ते रहे |
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1947 में –
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भारत 1947 में आजाद हो गया तब लोग सोचने लगे की अब तो हम आजाद हो गए हैं अब तो Shree Ram Janmbhoomi पर राम मंदिर बन ही जायेगा |
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- परन्तु उस समय बड़े कांग्रेसी नेता राम मंदिर को बनवाने के लिए गंभीर ही नहीं थे |
- उस वक्त मस्जिद केवल शुक्रवार को ही खुलती थी और राम चबूतरे पर पूजा की जाती थी |
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23 दिसंबर 1949 में –
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23 दिसंबर 1949 को सुबह मस्जिद से घंटियों की आवाज आने लगी तब पता लगता हैं की वहाँ भगवान श्री राम की पूजा हो रही थी,
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- हिन्दू पक्ष वाले कहते हैं की मंदिर में रात को अचानक से भगवान राम जी मूर्ति प्रकट हो गयी
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- मुस्लिम पक्ष वाले कहते हैं की रात के अँधेरे में इस मूर्ति को जानबूझकर मस्जिद के अंदर रखी गयी हैं |
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- दोनों पक्ष के लोगो की वह भीड़ जमा हो गयी,
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- यह बात उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पास जाती हैं
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- जवाहर लाल नेहरू डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के के नायर को आदेश देते हैं की उस मूर्ति को हटाकर पहले जैसी स्थिति बनायी जाए |
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- के के नायर मना कर देते की यहाँ बहुत भीड़ हैं मूर्ति हटाई गयी तो स्थिति बेकाबू हो जाएगी
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- मूर्ति रखने के बाद कोई भी पुजारी मूर्ति हटाने के लिए तैयार ही नहीं हैं |
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- 27 दिसंबर को फिर से के के नायर के पास आदेश जाता हैं की मूर्ति हटायी जाये
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- के के नायर ये नहीं करते हैं और इस्तीफा दे देते हैं और सरकार को सलाह देते हैं की मूर्ति को हटाने के बजाय जालीनुमा गेट लगा दिया जाए,
- कहा जाता हैं की ये बात नेहरूजी को पसंद आती हैं और उन लोगो को ऐसा करने के लिए कहते हैं तथा के के नायर का इस्तीफा स्वीकार नहीं करते हैं |
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1950 में –
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हिन्दू महासभा के वकील गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अर्जी देकर ramlala ki murti की पूजा करने का अधिकार देने की मांग की
- इसके बाद 35 सालो तक हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों अपने अपने तरीको से इस जगह को अपना करने की अदालत में कोशिश करते हैं लेकिन कुछ नहीं होता हैं |
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1980 में –
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1980 में बीजेपी सरकार के सामने Ram Mandir को लेकर चीजे बदलने लगी
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- विश्व हिन्दू परिषद और बीजेपी दोनों अपनी अपनी तरफ से राम मंदिर आंदोलन को तेज करने में लग गए |
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- सन 1986 में आंदोलन की पूरी दिशा ही बदल जाती हैं,क्योंकि
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- शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट जब शाहबानो के पति को जब गुजारा भत्ता देने को कहती हैं तो मुस्लिम भड़क जाते और कहते हैं ये तो उनकी महजब के खिलाफ हैं
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- उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे वो मुस्लिमो को खुश करने के लिए सासंद में कानून लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बदल देते हैं |
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- इस फैसले से हिन्दू नाराज हो जाते हैं और हिन्दुओ को खुश करने के लिए राजीव गाँधी बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाकर वहाँ पूजा करवाना शुरू कर देते हैं |
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- अब फिर से राजीव गाँधी की सरकार से मुस्लिम नाराज हो जाते हैं,
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6 फरवरी 1986 में –
6 फरवरी 1986 को मुस्लिम लीडर्स मिलते हैं और मुस्लिम एक्शन कमेटी बनाते हैं,
इसके बाद के सालो में लाल कृष्ण आडवाणी सोमनाथ से अयोध्या 10000 किमी तक की रथयात्रा निकालते हैं
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- रथयात्रा के दौरान बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी जी को गिरफ़्तार कर लिया जाता हैं
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- जिस दिन आयोध्या में रथयात्रा का समापन होना था उस दिन भारी संख्या में कार सेवक विवादित जगह पर पहुंचकर झंडा फहरा देते हैं
- भीड़ बहुत ज्यादा होने के कारण उसको काबू करने के लिए उस समय की सरकार कर सेवको पर गोलियां चलवा देती हैं जिसमे कई कार सेवक शहीद हो जाते हैं
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6 दिसंबर 1992 में
- इस- दिन को कई लोग शौर्य दिवस तो कई लोग काला दिवस मानते हैं |
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- उस समय यूपी के मुख्यमंत्री थे और पीवी नरसिंहा देश के प्रधानमंत्री थे
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- कहते है कर सेवको के आयोध्या पहुँचने से पहले कल्याण सिंह ने दावा किया था की विवादित ढांचे को कोई नुकसान नहीं होने देंगे और यह भी कहा जाता हैं की उन्होंने पुलिस को कहा था की वह भीड़ पर गोली ना चलाये,
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- लेकिन 6 दिसंबर 1992 को समय 1 बजकर 55 मिनट पर पहले एक गुंबद गिराया गया उसके डेढ़ घंटे बाद दूसरा गुम्बद 3:30 के करीब गिराया गया
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- शाम 3 बजे तक तीनो गुम्बद गिरा दिए गए
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- इसके डेढ़ घंटे बाद यूपी में राष्ट्रपति शासन लागु कर दिया और मुखयमंंत्री कल्याण सिंह को इस्तीफा दे दिया गया
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- इसके बाद जो दंगे हुए उसमे 1000 लोगो ने अपनी जान गवां दी और मुम्बई में हुए साम्प्रदायक दंगो में भी अपनी जान गवां दी
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- इसके 7 साल बाद तक अदालत में शांति बानी रही लेकिन 90 के दशक में बीजेपी सरकार आने के बाद हिन्दू संगठन राम मंदिर को लेकर फिर से सक्रीय हो गए
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- पहले देशभर में चल रहे मामलो को एक जगह लाया गया बाद में ASI (Archaeological Survey Of India ) को इस मामले की जाँच करने के लिए कहा गया,
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- ताकि पता लगाया जा सके कि पहले वहाँ क्या था |
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- ASI रिपोर्ट कह दिया की विवादित जगह पर पहले हिन्दू मंदिर थे ASI रिपोर्ट के अनुसार सच में यह साबित हो रहा था की वहाँ हिन्दू मंदिर ही थे,
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- इस रिपोर्ट के आधार पर ही अदालत ने इस विवादित जमीन को राम जन्मभूमि ट्रस्ट, निर्मोही
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- अखाड़ा और सुन्नी वक्त बोर्ड में में बराबर बाँट दिया
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- मगर तीनो ही पक्ष अदालत के इस फैसले सहमत नहीं थे,इसके बाद यह मामला 2011 में सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया
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- लेकिन वहां भी 7 सालो तक इस मामले की कोई सुनवाई नहीं हुयी
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- फिर एक मेडिएशन पैनल बनाकर आपसी रजामंदी से हल निकलने की कोशिश की पर कोई हल नही निकला तो सुप्रीम कोर्ट मामलो से जुड़े दस्तावेजों को अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करने के लिए आदेश दिया जाता हैं |
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- फिर अगस्त 2019 में मामले से जुडी सुनवाई सभी पक्षों की पूरी हो जाती हैं
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9 नवंबर 2019 –
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट यह फैसला सुनती हैं की विवादित जमीन राम जन्मभूमि ट्रस्ट को दे दी गयी
5 फरवरी 2020 –
5 फरवरी 2020 के दिन से राम मंदिर निर्माण शरू हो जाता हैं
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- 1528 में Ram Mandir गिराने के 492 साल बाद उसी Ayodhya में Shree Ram Janmbhoomi पर उनके मंदिर का निर्माण हो गया हैं |
22 जनवरी 2024 –
अब 22 जंवरी 2024 को राम मंदिर पूरा बनकर तैयार हो जायेगा और इस दिन भगवान श्री राम की राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी
इस प्रकार राम मंदिर अयोध्या के लिए इतनी सालो का संघर्ष चला में आशा करती हु की आप सब को राम मंदिर के लिए लोगो का संघर्ष का पता चल गया होगा |
सच्चाई की लड़ाई एक या दो साल की नहीं होती यह कई पीढ़ियों तक
राम मंदिर की प्रथम बार नीवं कब राखी गयी ?
9 नवम्बर 1989 को
Ayodhya ka Ram Mandir के वास्तुकार कोन हैं ?
चंद्रकांत सोमपुरा
Ayodhya Ram Temple का निर्माण किस कंपनी ने किया ?
L & TT
वर्ष 2018 से पहले अयोध्या का क्या नाम था ?
फैजाबाद