भारत के राज्य राजस्थान की मनमोहक राजधानी जयपुर जो अपनी गुलाबी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं | जयपुर की ऐतिहासिक विरासत का सबसे उल्लेखनीय पहलु इसके शानदार महल हैं | ये महल अपनी भव्यता और समृद्धि के साथ शहर की शाही विरासत और बीते युगो की स्थापत्य कला का प्रमाण हैं | इस लेख में हम Top 10 Jaipur me ghumne jghah (फेमस places) के बारे में बताएँगे जो tourist places हैं जहा आप अपने परिवार के साथ यात्रा कर सकते हैं |
Jaipur me ghumne ki jagah list
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- हवामहल
- सिटी पैलेस
- रामबाग पैलेस
- आमेर किला
- जल महल
- जयगढ़ किला
- नाहरगढ़ किला
- जंतर मंतर
- अलबर्ट हॉल संग्राहलय
- गेटोर में शाही मकबरे
- जयपुर में ghumne layak jagaho के बारे में इस लेख में वर्णन किया गया हैं ऐतिहासिक महल और स्मारक हैं उनका सभी का इस लेख में वर्णन किया गया हैं |
1. हवामहल-
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- जयपुर का राजसी महल हैं जिसे सन 1799 में जयपुर में बड़ी चौपड़ पर सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित हैं |
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- यह पांच मंजिली ईमारत हैं
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- हवामहल में 953 खिड़किया हैं,जो हवा के झरोके की तरह हैं इसी कारण इसे हवामहल कहा जाता हैं |
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- हवामहल ईमारत बिना नींव के निर्मित हैं,यह दुनिया का सबसे बड़ी ईमारत हैं |
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- इस राजसी महल की ऊंचाई 15 मीटर हैं |
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- महल का आकर मुकुट के सामान हैं तो कहते हैं की यह महल भगवन श्री कृष्ण को समर्पित हैं |
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- इस महल में के सामने कोई प्रवेश द्वार नहीं इसके पीछे से प्रवेश करना पड़ता हैं और न ही इसमें सीढिया हैं रैंप के जरिये चढ़ा जाता हैं |
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- यह महल गर्मियों में भी ठंडा रहता हैं क्योकि इसमें छोटी छोटी खिड़किया होती हैं जिसमे से हवा अंदर आती हैं और इस महल को ठंडा रखती हैं |
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- यह महल विशेष रूप से शाही महिलाओ के लिए बनाया गया था जिसे वो बहार बिना दिखे हो रहे दृश्य को देख सके |
हवामहल का अंदर का दर्श्य
समय(Timing)-
सुबह 9 :30 बजे से शाम 4 :30 बजे तक
प्रवेश शुल्क(Entry fees)-
भारतीय पयर्टक(Indian tourist) – 50 रू प्रति यक्ति
विदेशी पयर्टक(Foreign tourist) -200रू प्रति यक्ति
2. सिटी पैलस (City Palace)-
राजघरानो का निवास
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- यह पैलेस जयपुर के गंगोरी बाजार,JDA मार्केट- जयपुर के केंद्र में स्थित हैं |
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- इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1729 से 1732 के बीच कराया गया था | |
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- सिटी पैलेस में राजपूत और मुगल दोनों की वास्तुकला दिखाई देती हैं |
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- इस महल के आँगन में मुबारक महल और महारानी का महल शामिल हैं |

मुबारक महल (स्वागत महल)-
- इस महल में सवाई मानसिंह द्वितीय संग्राहलय हैं जिसमे -कश्मीरी शॉल,बनारस रेशमी शाड़ियां और शाही पोषक,सांगानेरी प्रिंट,कढ़ाई के साथ अन्य पोशाकों के संग्रह देखने को मिलता हैं |
- यह महल शाही रानियों के लिए बनाया गया था | इस महल में राजपूतो हथियारों को सरंक्षित रखा जाता हैं | महल की छत बहुत ही मनमोहक चित्रों से सजाई हुयी हैं |
Timing-
सुबह 9:30 से शाम 5 बजे तक और शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक
Entry fees/Tikit prize –
भारतीय(Indian tourist) – 200 रूपये
विदेशी (Foreign) – 700 रूपये
3.रामबाग पैलेस (Rambagh Palace)-
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- रामबाग पैलेस का निर्माण 1835 में करवाया गया था |
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- इस महल का निर्माण उस समय की रानी की नौकरानी थी जो रानी की प्रिय थी उसके लिए बनवाया गया था |
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- 1957 में सवाई मानसिंह द्वितीय ने इसे पैलेस को होटल में तब्दील कर दिया गया हैं |
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- यह पैलेस दुनिया की आलिशान होटलो में गिना जाने वाला पैलेस हैं,इसमें कई आरामदायक कक्ष है,स्विमिंग पूल ,पुस्तकालय हैं |
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- रामबाग पैलेस में एक स्ट्रीम ट्रैन हैं जो टेबल पर राउंड घूमते हुए सबको भोजन परोसती हैं |
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- इसे जयपुर का गहना कहते हैं |
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- यह couples ke liye jaipur me ghumne ki best jagah hain.
Timing –
सुबह 9 बजे से 5 : 30तक
Entry fees –
Indians tourist-50 रूपये प्रति व्यक्ति
Foreign tourist -100 रूपये प्रति व्यक्ति
4.आमेर किला(Aamer Fort) –
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- आमेर किले के निमार्ण की शरुआत 16 वी शताब्दी के अंत में राजा मानसिंह ने की थी |
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- इस किले को बनने में 100 वर्ष लगे थे क्योकि मानसिंह की शुरुआत के बाद इसको पूरा सवाई जय सिंह द्वितय और राजा जय सिंह प्रथम ने पुरा किया था | इन तीनो राजाओ के शासन में आमेर किले को पूरा होने में 100 साल लगे थे |
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- आमेर किले को अम्बर किला भी कहते |
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- माता शिला देवी का मंदिर भी इस किले में हैं,माता काली ने राजा मानसिंह को सपने में दर्शन दिए थे और जेसोर,बांग्लादेश के पास अपनी पूर्ति तलाशने के लिए कहा लेकिन मूर्ति के बजाय राजा को बड़ा सा पत्थर मिला और उसके साथ वो अपने आमेर लौट आये जिसकी सफाई सैनिको द्वारा की गयी और इस प्रकार शिला देवी के मंदिर का निर्माण हुआ |
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- आमेर किले में शीश महल – इस महल की अंदर की दीवारे को कनकेव शिशो से उकेरा गया हैं | इन शिशो को इस तरह व्यस्थित किया गया की एक जगह पर लाइट का फोकस पड़ने पर पूरा महल जगमगाने लगता हैं |
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- आमेर किले के नजदीक ही जयगढ़ किला – आमेर किले से 2 km दूर पर ही जयगढ़ किला हैं दोनों किले एक सुरंग के द्वारा जुड़े हुए हैं | यह किला आमेर के राजा के सैनिको के लिए बनाया गया था जिसे युद्ध के समय राजा को सुरक्षित तरीके से निकला जा सके |
यह एक historical palace यदि आप इतिहास की बातो में रूचि रखते हैं तो यहाँ घूम सकते हैं
Timing-
सुबह 8 बजे से शाम 7
Entry fee –
Foreign tourist -550 रु प्रति व्यक्ति
विदेशी छाात्र -100 रु प्रति व्यक्ति
Indian tourist –
50 रु ,भारतीय छाात्र -10 रु प्रति व्यक्ति
5. जल महल (Jal Mahal )
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- जल महल या वाटर पैलेस मान सागर झील के बीच में स्थापित शानदार महल हैं जो Jaipur mein dekhne layak jagah hain.
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- सटीक अवधि का पता नहीं पर कहते है की इस महल का निर्माण 1799 में सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था |
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- जल महल की ऊंचाई ज्यादा नहीं हैंये 5 मंजिला हैं लेकिन सबको एक मंजिल ही दिखाई देती हैं बाकि 4 मंजिल पानी की गहराई में डूब गयी हैं |
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- वाटर पैलेस लाल बलुआ पत्थर से निर्मित अद्वित्य महल हैं
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- यह महल जयपुर के महराजा का शूटिंग निवास हुआ करता था और अब यह पयर्टक स्थल बन गया हैं |
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- इस महल को अब रेस्टोरेंट में बदल गया है और पयर्टको का अंदर प्रवेश बंद कर दिया गया हैं इसे बहार से देखने की अनुमति हैं इस झील में नाव की सवारी भी कराई जाती हैं |
Timing–
सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक
Entry fees –
सरकार ने वास्तविक महल के अंदर जाने पर पाबंद लगा दिया हैं इसलिए मान सागर झील के चारो और एक मार्ग पयर्टको को जल महल देखने की अनुमति देता हैं आप कभी भी आ सकते और महल देख सकते हैं |
6. जयगढ़ किला (Jaigarh fort )-
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- जयगढ़ फोर्ट को 1726 ईस्वी में सवाई जय सिंह द्वितय के द्वारा बनाया गया था | यह पहाड़ी की चोटी पर स्थित है |
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- यह आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनया गया था आमेर किला और जयगढ़ किला एक सुरंग के द्वारा जुड़े हुए थे ताकि आमेर किले के राजा सुरक्षित बहार निकल सके |
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- जयगढ़ ,जयपुर के सबसे मजबूत स्मारकों में से एक हैं और इस किले द्वारा खजाने की सुरक्षा की जाती थी |
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- दुनिया की सबसे बड़ी तोप-जयवाण तोप इस किले में हैं
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- विजय -किला इस नाम से भी जयगढ़ फोर्ट को जाना जाता हैं |
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- इस किले की विशाल दीवारे हैं(3 किलोमीटर लम्बाई और 1 किलोमीटर चौड़ाई) कहते हैं की इस किले में खजाना था इंदिरा गाँधी सरकार ने महल की तलाशी करवाई पर खजाना नहीं मिला अभी तक खजाना रहस्य नहीं सुलझ पाया |
Timing –
सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
Entry Fees –
Indians -70 रु प्रति यक्ति
Foreign -150 रु प्रति व्यक्ति
7. नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort )-
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- नाहरगढ़ किले का निर्माण 1734 ईस्वी में सवाई जय सिंह ने करवाया था |
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- जयपुर का नाहरगढ़ किला अरावली पर्वत शृंखला पर स्थित हैं |
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- यह शिकार अभियानों के उद्देश्य से विश्राम स्थल के रूप में बनवाया था |
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- इसका नाम पहले सुदर्शनगढ़ था बाद में इसका नाम नाहरगढ़ रख दिया जिसका अर्थ बाघों का निवास होता हैं
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- एक किवदंती के अनुसार इस किले के निर्माण में किसी आत्मा ने बाधा डाली थी जो नाहरसिंह भोमिया राठौड़ राजकुमार की थी इसलिए उनकी आत्मा को शांत करने के लिए नाहरगढ़ के अंदर एक मंदिर बनवाया गया और उनके सम्मान में किले का नाम नाहरगढ़ रख दिया |
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- इस किले की विशाल दीवारे जयगढ़ तक फैली हुयी हैं |
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- कहते हैं की आज तक इस किले पर किसी भी सेना का हमला माहि हुआ हैं |
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- 1857 के सवतंत्रता संग्राम के दौरान यूरोपीय लोगो के आश्रय स्थल के रूप में इस किले का उपयोग किया गया हैं |
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- वास्तुकला – किले इंडो-यूरोपीय शैली बनाया गया हैं |
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- वर्तमान समय में नाहरगढ़ किले में दो रेस्टोरेंट हैं शाम को प्रवेश बंद हो जाने के बाद भी रात को देर तक आप भोजन का आनंद ले सकते हो |
Timing –
सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक
Entry Fees –
भारतीय नागरिक(Indian tourist) -50 रु
विदेशी नागरिक(Foreign tourist) – 200 रु
भारतीय छात्र – 50 रु
8. जंतर मंतर -(Jantar Mantar)
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- जंतर मंतर जयपुर की खगोलीय वेधशाला हैं जो दुनिया की सबसे बड़ी वेधशालाओ में से एक हैं |
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- यह कोई विज्ञान केंद्र नहीं हैं स्मारक के रूप में बनाया गया हैं |
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- जयपुर के जंतर मंतर में 19 खगोलीय उपकरण सरंक्षित हैं जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं |
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- खगोलीय विज्ञान में रूचि रखने वाले जयपुर के महराजा सवाई जयसिंह द्वितय द्वारा 1734 में इस स्मारक का निर्माण किया गया |
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- इसका निर्माण समय को मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने और आकाशीय पिंडो की स्थिति का पता लगाने के लिए किया गया |
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- जंतर मंतर के शब्द संस्कृत के शब्द हैं जिनका अर्थ – जंतर (यंत्र ) और मंतर (गणना ) हैं |
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- ये उपकरण सटीक खगोलीय गणना के के लिए महत्वपूर्ण हैं |
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- इसमें विभिन्न बड़े पैमाने के उपकरण शामिल हैं जैसे की –
सम्राट यंत्र – दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी – धूपघड़ी
राम यंत्र –दो बड़े बेलनाकार सरंचनाओं का एक सेट हैं आकाशीय पिंडो की ऊंचाई मापने के लिए काम में लिया जाता हैं |
जय प्रकाश यंत्र – तारो और ग्रहो की स्थिति का पता लगाने के लिए काम में लिया जाता हैं |
यह पयर्टको का आकर्षित केंद्र हैं | जो Jaipur ki dekhne layak jagah हैं
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Timing –
- सुबह 9 बजे से शाम 4:30 तक
Entry Fees –
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- भारतीय -50 रु प्रति व्यक्ति
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- विदेशी – 200 रु प्रति व्यक्ति
9. अलबर्ट हॉल संग्राहलय (Albert Hall Museum)-
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- राजस्थान के सबसे पुराने संग्राहलयो में से एक हैं |
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- अलबर्ट हॉल संग्राहलय को केंद्रीय संग्राहलय भी कहते हैं |
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- संग्रहलय की नींव वेल्स के राजकुमार अलबर्ट एडवर्ड की यात्रा के दौरान राखी गयी |
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- इसका निर्माण 1876 में किया गया |
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- अलबर्ट हॉल को सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने किया |
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- संग्राहलय इंडो-सरसेनिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदहारण हैं |
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- यहाँ कलाकृतियों और ऐतिहासिक वस्तुओ का व्यापक संग्रह हैं
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- संग्रह में मूर्तिया,पेंटिंग,सजावटी वस्तुये,चीनी मिट्टी के बर्तन,राजस्थानी कपड़े हैं
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- मिस्र की ममी -पयर्टको के आकर्षण के लिए इस संग्राहलय में मिस्र की ममी हैं (मिस्र में शवों/dead bodies को सुरक्षित रखा जाता हैं ) जिसे 20 वीं शताब्दी की शरुआत में अलबर्ट हॉल संग्राहलय ने अधिग्रहित कर लिए था |
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- यह जयपुर के रामनिवास गार्डन में स्थित हैं यह बहुत ही शानदार Jaipur tourist place हैं
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- यहाँ कुछ अलग सी लघु पेंटिंग,बंदूके, चाकू,खंजर,हुक्का,संगीत वाद्ययंत्र,पुराने सिक्के,सैनिको और राजाओ की मोम से बनी हुयी मुर्तिया हैं |
Timing-
सुबह 9 से शाम 5 बजे तक और शाम 7 बजे से रात 10 तक
Entry Fees –
- भारतीय के लिए (Indian’s) – 300 रु प्रति व्यक्ति
- भारतीय छात्र(Indian’s student)- 40 रु
- विदेशी के लिए(Foreign) – 1000 रु प्रति व्यक्ति
- विदेशी छात्रों के लिए -200 रु प्रति छात्र
10. गैटोर के शाही मकबरे,जयपुर -(Gaitor ki chhatriyan)
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- जयपुर के बाहरी इलाके में स्थित यह ऐतिहासिक स्मारक हैं जहाँ जाकर शाही पूर्वजो को सम्मान देकर क्षेत्र की शांति का आनंद ले सकते हैं |
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- यह एक शाही श्मशान भूमि हैं जो कछवाहा राजपूत राजाओ और जयपुर के शाही परिवार के सदस्यों को समर्पित हैं |
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- महराजा सवाई जय सिंह ने 18 वीं शताब्दी में इस छेत्र को चुना था 1733 के बाद कछवाहा राजवंश का यही अंतिम दाह संस्कार किया गया |
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- श्मशान भूमि की देख रेख राजपूत राजवंश कछवाह द्वारा की जाती थी |
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- गेटोर छतरी में उलेखनीय समाधियाँ जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह और महाराजा माधो सिंह द्वितय की हैं
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- ये छत्रिया राजपूत वास्तुकला का प्रदर्शन करते है और नक्काशीदार संगमरमर की सरंचनाये पेश करते हैं |
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- जयपुर के राजाओ का दाह-संस्कार गेटोर की छत्रियो में ही किया जाता था इसीलिए उनकी याद के लिए ही ये छत्रिया बनायीं गयी ताकि उनके इतिहास को अमर रख सके |
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Gaitor ki Chhatriyan
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Timing–
- सुबह 9:30 से शाम 5 बजे तक
Entry Fees –
30 रु प्रति व्यक्ति
हमने Jaipur ki famous jagaho के बारे में देखा यहाँ सभी शानदार घूमने वाली जगह हैं जहा आप अपने दोस्तों, परिवार या बच्चों के साथ आ सकते हैं और यहाँ का आनंद ले सकते हैं |
जयपुर में रात में घूमने की अच्छी जगह कौनसी हैं ?
Jal Mahal, Hawa Mahal, City Palace, Chokhi dhani ये जयपुर में देखने लायक जगह हैं |
जयपुर में घूमने का सबसे सही समय कौनसा हैं ?
October-March जयपुर में घूमने लायक समय हैं |